VIDEHA

‘विदेह’ १ जुलाई २००८ ( वर्ष १ मास ७ अंक १३ ) १०. संगीत शिक्षा-गजेन्द्र ठाकुर रामाश्रय झा “रामरग” (१९२८- )

In रामाश्रय झा “रामरग”, संगीत on जुलाई 28, 2008 at 6:09 अपराह्न

१०. संगीत शिक्षा-गजेन्द्र ठाकुर
रामाश्रय झा “रामरग” (१९२८- ) विद्वान, वागयकार, शिक्षक आऽ मंच सम्पादक छथि।
रामरगजीसँ गप शप। (६ जुलाई २००८)

गजेन्द्र ठाकुर: गोर लगैत छी। स्वास्थ्य केहन अछि।
रामरंग: ८० बरख पार केलहुँ। संगीतमे बहटरल रहैत छी।
गजेन्द्र ठाकुर: संगीतक तँ अपन फराक भाषा होइत छैक। मैथिली संगीत विद्यापति आऽ लोचन सँ शुरू भए अहाँ धरि अबैत अछि। मैथिलीमे अहाँ लिखनहिओ छी।
रामरंग: अपन मिथिलासँ सम्बन्धित हम तीन रागक रचना केलहुँ अछि, जकर नाम ऐ प्रकारसँ अच्हि।
१.राग तीरभुक्ति, राग विद्यापति कल्याण तथा राग वैदेही भैरव। ऐ तीनू रागमेसँ तीरभुक्ति आर विद्यापति कल्याणमे मैथिली भाषामे खयाल बनल अछि। हमर संगीत रामायणक बालकाण्डमे रागभूपाली आर बिलावलमे सेहो मैथिली भाषामे खयाल छैक। आर सन्गीत रामायणक पृष्ठ ३ पर बिलावलमे श्री गणेशजीक वन्दना तथा पृष्ठ २० पर राग भूपालीमे श्री शंकरजीक वन्दना अछि। पृष्ठ ८७ पर राग तीरभुक्तिमे मिथिला प्रदेशक वन्दना अछि आर पृष्ठ १२० पर राग वैदेही भैरवक (हिन्दीमे) रचना अछि। “अभिनव गीताञ्जलीक पंचम भागमे २६५ आर २६६ पृष्ठ पर विद्यापति कल्याण रागमे विलम्बित एवं द्रुत खयाल मैथिली भाषामे अछि। मिथिला आऽ मैथिलीमे हम उपरोक्त सामग्री बनओने छी।

गजेन्द्र ठाकुर: मुदा पूर्ण रागशास्त्र विद्यापति कल्याणक, तीरभुक्तिक वा वैदेही भैरवक नञि अछि। मैथिलीमे आरो रचना अहाँ…
रामरंग: बहुत रचना मोन अछि, मुदा के सीखत आऽ के लीखत। हाथ थरथराइत अछि आब हमर।
गजेन्द्र ठाकुर: कमसँ कम ओहि तीनू रागक रचना शास्त्र लिखि दैतियैक तँ हम पुस्तकाकार छापि सकितहुँ।
रामरंग: जे रचना सभ हम देने छी ओकरा छापि दिऔक। हाथ थरथराइत अछि , तैयो हम तीनूक विस्ट्रुत विवरण पठायब, लिखैत छी।
गजेन्द्र ठाकुर: प्रणाम।
रामरंग: निकेना रहू।
(c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन।

विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.co.in केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx आ’ .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

टिप्पणी करे